अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 20 May 2021 · 1 min read मेघावलियाँ मेघावलियाँ आसमान की बनी अंजुली, मेघों की शुचि धारा अविरल। शीतलता के मृदुल करों से, धुलने लगा धरा मुख-मण्डल। जल अतिशय से तुंग भवन के, बने पनाले सुंदर झरने। गली-... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 14 14 709 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 16 May 2021 · 1 min read प्रथम मेह बंजर वसुधा हुई प्रसूता, घन ने गर्भाधान किया। सुप्त धरा में नव अंकुर ने, प्रथम मेह पय-पान किया। अर्धखुले नयनों से अंकुर, झाँकें मिट्टी के दामन से। महकी सौंधी गंध... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 17 20 1k Share