जीवन की राहें कभी सरल नहीं होतीं। हर मोड़ पर चुनौतियाँ, हर पड़ाव पर सवाल, और हर मंज़िल से पहले अनगिनत संघर्ष मिलते हैं। लेकिन इन्हीं संघर्षों के बीच से जन्म लेती है प्रेरणा — आगे बढ़ने की, सपनों को साकार करने की, और उम्मीद की लौ को कभी बुझने न देने की।
“बढ़ते कदम” एक ऐसा काव्य-संग्रह है, जिसमें जीवन की इन्हीं प्रेरणाओं को शब्दों में पिरोया गया है। यह ५० कविताओं का संकलन न केवल पाठक के मन को छूने का प्रयास करता है, बल्कि उसे भीतर तक झकझोर कर यह कहता है — “रुकना मत, चाहे राह कैसी भी हो।”
हर कविता एक नया संदेश देती है — कभी आत्मबल की बात करती है, तो कभी असफलताओं से सीखने की प्रेरणा। कभी यह संग्रह संघर्षों को गले लगाने का हौसला देता है, तो कभी जीवन के छोटे-छोटे पलों में छिपे सौंदर्य को पहचानने की दृष्टि।
इस संग्रह का उद्देश्य केवल भावनाओं को व्यक्त करना नहीं, बल्कि हर उस दिल तक पहुँचना है जो थक गया है, रुका हुआ है या खुद पर संदेह कर बैठा है। “बढ़ते कदम” उन सभी कदमों को समर्पित है जो लड़खड़ाए, रुके, मगर फिर भी चलते रहे।
आशा है कि यह संग्रह आपके हृदय को छूएगा, आपके विचारों को प्रेरणा देगा, और आपके जीवन-पथ को थोड़ी सी रौशनी प्रदान करेगा।
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