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15 Jun 2023 · 1 min read

Aaj bhi ek chhupe hue koone me uski mohabbat zinda hai…

Aaj bhi ek chhupe hue koone me uski mohabbat zinda hai…

Aaj bhi kahin inn aankhon me usk naam ki nami baaki hai …

Aaj bhi mere jism par uska vo ehsaas baaki hai …

Aaj bhi uski aankhon ki vo chamak meri aankhon ko yaad hai …

Aaj bhi uske beemar hone pe use sambhalna mujhe aata hai …

Ajj bhi inn kaano me uski awaz goonjti hai …

Aaj bhi use nashe me dekh ke mere kadam usse sambhalne ko badh jaate hai …

Aaj bhi inn hathoon me usk hathoon ka saath baaki hai ..

Aaj bhi mere zehan me uski bahoon ka sukoon zinda hai …

Aaj bhi mere sapno me uska zikr ho hi jata hai …

Aaj bhi mere sirhane uska vo aakhiri khat rakha hi hai ….

Aaj bhi uski tasweeren sandook me chhipa ke rakhi hi hai …

Aaj bhi uski dhadkan ki awaz meri dhadkan ko yaad hai …

Aaj bhi meri rooh ko uski vo aakhri mulakat yaad hai …

Aaj bhi mere dil me uska khayal baaki hai …

Aaj bhi tootte taare ko dekh ke duane uski khushiyon ki hi aati hai ..

Aaj bhi duaon me ibadat usk naam ki hi baaki hai

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