Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2023 · 1 min read

_24_किसे सुनाऊं वेदना इस मन की

आह भरूं अब मै तो हर पल,
ह्रदय हो गया मेरा विव्हल,
दिवस बीतते कहते कल-कल,
अश्रु बहें नयनों से छल-छल,
मिला नहीं अब तक कोई हल,
व्याकुल रहता हूं मैं प्रतिक्षण,
सुंदरता नष्ट हो गईं अब तन की ,
किसे सुनाऊं वेदना इस मन की ?

कुछ ख़्वाब देखे थे मैंने,
रह -रह कर सब टूटते गए,
मोतियों की माला पिरोई थी मैने,
क्षण- क्षण मोती बिखरते गए,
जिन्दगी से कुछ लम्हें चुराए थे मैने,
खो गए कहीं वो सिसकते रह गए ,
दुर्दशा हो गई मेरे तन मन की,
किसे सुनाऊं वेदना इस मन की ?

गैरों से जब कुछ रिश्ते बढ़ाए मैंने,
अपने ही मुझसे खिसकते गए,
ज़ख्म पाए हैं दुनियां से अबतक मैंने,
पर ज़िंदगी को बेहतर समझते गए,
अरमान हैं कि मेरे कम होते नहीं ,
ज़ख्म लगते हैं फिर भी रोते नहीं,
खुश्बू माटी हो गई है गुलशन की,
किसे सुनाऊं वेदना इस मन की ?

Language: Hindi
2 Likes · 201 Views
Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
View all

You may also like these posts

25. *पलभर में*
25. *पलभर में*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
gurudeenverma198
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शुद्ध हिंदी माध्यम से पढ़े एक विज्ञान के विद्यार्थी का प्रेमप
शुद्ध हिंदी माध्यम से पढ़े एक विज्ञान के विद्यार्थी का प्रेमप
पूर्वार्थ
कुछ  गीत  लिखें  कविताई  करें।
कुछ गीत लिखें कविताई करें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
Diwakar Mahto
FB68 còn nổi bật với hệ thống livestream các sự kiện thể tha
FB68 còn nổi bật với hệ thống livestream các sự kiện thể tha
Fb68
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
Harminder Kaur
मैं जगत नियंता बना
मैं जगत नियंता बना
Sudhir srivastava
मां को नहीं देखा
मां को नहीं देखा
Suryakant Dwivedi
हम तुमको अपने दिल में यूँ रखते हैं
हम तुमको अपने दिल में यूँ रखते हैं
Shweta Soni
ज़िंदगी  ऐसी  जियो , ज़िंदा रहो  चहको सदा ,
ज़िंदगी ऐसी जियो , ज़िंदा रहो चहको सदा ,
Neelofar Khan
*इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैंडर जो गया (गीत)*
*इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैंडर जो गया (गीत)*
Ravi Prakash
धन
धन
रेवन्त राम सुथार
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
Sushma Singh
जय जवान जय किसान
जय जवान जय किसान
अवध किशोर 'अवधू'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दिल के दरवाज़े
दिल के दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
वृद्धों को मिलता नहीं,
वृद्धों को मिलता नहीं,
sushil sarna
देव प्रबोधिनी एकादशी
देव प्रबोधिनी एकादशी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
P S Dhami
सोच का आईना
सोच का आईना
Dr fauzia Naseem shad
देश में क्या हो रहा है?
देश में क्या हो रहा है?
Acharya Rama Nand Mandal
बांटेगा मुस्कान
बांटेगा मुस्कान
RAMESH SHARMA
काबिल बने जो गाँव में
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
चाय सी महक आती है तेरी खट्टी मीठी बातों से,
चाय सी महक आती है तेरी खट्टी मीठी बातों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"सरस्वती बंदना"
राकेश चौरसिया
आइये तर्क पर विचार करते है
आइये तर्क पर विचार करते है
शेखर सिंह
Loading...