Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2023 · 1 min read

_21_आख़िरी पड़ाव

ख़ाक छानता फिरता हूं हर पल,
जाने ये जिन्दगी कहां ले जायेगी,
मेरे बंधुओ में नहीं रहा इतना बल,
जाने कब निर्वाण की छांव मिल पायेगी,
मेरे साथ कब तक होता रहेगा छल,
जाने कब ये अपना परदा हटायेगी,
कब तक चलेगा उसका दांव,
कब मिलेगा मुझे आख़िरी पड़ाव?

बचपन तो बीत गया मस्ती में,
फिरता रहा मैं अनजानी बस्ती में,
करता रहा मैं हसीं ठिठोली,
तीर सी चुभती रही बोली,
जवानी में स्वप्न संजोता रहा,
एक- एक कर सबकुछ खोता रहा,
कब भरेंगे मेरे अंतरमन घाव,
कब मिलेगा मुझे आख़िरी पड़ाव?

नभचर तो विचरता है नभ में,
सिर्फ और सिर्फ दानों की तलाश में,
वो प्राणी तोड़ता है पत्थर तपती धूप में,
ज़ख्म हजारों हैं उसके हांथ में,
भूख मिटाकर उसे राहत मिल जायेगी,
पर मेरे दिल की आग कब बुझ पाएगी,
कब बुझेगा यह जलता अलाव,
कब मिलेगा मुझे आख़िरी पड़ाव?

Language: Hindi
1 Like · 85 Views
Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
View all

You may also like these posts

मेरी आंखों में कोई
मेरी आंखों में कोई
Dr fauzia Naseem shad
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
कोई और नहीं
कोई और नहीं
Anant Yadav
नहीं बदलते
नहीं बदलते
Sanjay ' शून्य'
दामन में नित दाग
दामन में नित दाग
RAMESH SHARMA
छम-छम वर्षा
छम-छम वर्षा
surenderpal vaidya
स्वामी विवेकानंद जयंती पर
स्वामी विवेकानंद जयंती पर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*मतदान*
*मतदान*
Shashi kala vyas
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
नूतन बर्ष
नूतन बर्ष
कार्तिक नितिन शर्मा
ये तनहाई
ये तनहाई
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दहेज़ कर्ज या खुशी
दहेज़ कर्ज या खुशी
Rekha khichi
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
पूर्वार्थ
21. Tale of An Eve
21. Tale of An Eve
Ahtesham Ahmad
■आज का आभास■
■आज का आभास■
*प्रणय*
"प्यार का रोग"
Pushpraj Anant
*खाता है सामान्य जन, केला लेकर रोज (कुंडलिया)*
*खाता है सामान्य जन, केला लेकर रोज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#हा ! प्राणसखा . . . . . !
#हा ! प्राणसखा . . . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*कुछ शेष है अब भी*
*कुछ शेष है अब भी*
अमित मिश्र
पदावली
पदावली
seema sharma
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
Atul "Krishn"
बिन बोले ही हो गई, मन  से  मन  की  बात ।
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
sushil sarna
दीदी का कर्ज़
दीदी का कर्ज़
Jyoti Roshni
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अधूरा मिलन
अधूरा मिलन
Er.Navaneet R Shandily
समस्याओं से भागना कायरता है
समस्याओं से भागना कायरता है
Sonam Puneet Dubey
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
शेखर सिंह
"कोई क्या समझाएगा उसे"
Ajit Kumar "Karn"
आज का पुरुष औरतों को समान अधिकार देने की बात कहता है, बस उसे
आज का पुरुष औरतों को समान अधिकार देने की बात कहता है, बस उसे
Annu Gurjar
Loading...