_20_ऐसा है हमारा वतन
जहां मुर्गे की बांग से होता सबेरा,
जहां सुरज डालता पहला फेरा,
जहां कुसुमों को भौरों ने घेरा,
जहां है परिंदो का बसेरा,
जहां करवटें बदलती नदियां,
जहां स्वप्न से सुंदर वन,
ऐसा है हमारा वतन।।
जहां इश्क में भी इबादत होती है,
जहां हर दिल में मोहब्बत होती है,
जहां मां के चरणों में जन्नत होती है,
जहां विश्वास से पूरी मन्नत होती है ,
जहां सभी के हौसलें हैं बुलन्द,
जहां जल से भी निर्मल हैं मन,
ऐसा है हमारा वतन।।
जहां बुद्ध ने अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
जहां वीरों ने अपना परचम लहराया,
जहां सरदार शिवा की प्रतिक्षण छाया,
जहां पर कोई बैरी टिक ना पाया,
जहां दिलों में नेक जज़्बात हैं,
जहां पर कण-कण में मिले भगवन,
ऐसा है हमारा वतन।।
जहां जमीं की गोद फूलों से भरी है,
जहां हर आदाओं में जादूगरी हो,
जहां मांग उसकी तारों से सजी है ,
जहां हर वक्त इक मधुर धुन बजी हो,
जहां नारियां हैं पुजती होती है श्रद्धा,
जहां जगमगाती रोशनी की किरन,
ऐसा है हमारा वतन।।
जहां इंसान में इंसानियत की बहार है,
राष्ट्र के लिए सिर चढ़ाने का खुमार है,
जहां मिट्टी से भी रखते हैं गहरा नाता,
स्वयं को मानते हैं सुत माटी को माता,
जहां स्वभाग्य रचने के आते हुनर,
जहां स्वराज्य के सजते हैं स्वप्न,
ऐसा है हमारा वतन।।