_18_सुप्रभात
कली- कली खिल गई गली-गली महक गई,
मौसम ने ली अंगड़ाई शायद शुभ घड़ी आई,
परिंदो ने छोड़ा आशियां कुछ फासले हैं दर्मियां,
हमको हमसे मिलाने देखो सुप्रभात आ गया।।
कोई राह नहीं मुश्किल मिल जायेगी अब मंजिल,
बहारें आ जायेंगी द्वारे फिर ना मिलेंगे दुखियारे,
पूरब में सूर्य का उजाला हो गया जगमग है जहां,
हमें हमारी राह दिखाने देखो सुप्रभात आ गया।।
प्रकाश से चमक उठी आंखे भौ का अनुमान हो गया,
वो न दे पाएंगे धोखे वफ़ा का जारी फ़रमान हो गया ,
हिला ना पाएंगे झोंके उन पर्वतों का अहसान हो गया,
हमारी नई दुनियां बसाने को देखो सुप्रभात आ गया।।
माया की पहचान हुई अब आकर्षित ना कर पाएगी,
डर गई है वह मुझे देख अब आते ही छिप जायेगी,
कोई अंदर मिला तो आत्मा का मुझसे मिलन हो गया,
जीवन का सार बताने को देखो सुप्रभात आ गया।।