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28 May 2023 · 1 min read

_18_सुप्रभात

कली- कली खिल गई गली-गली महक गई,
मौसम ने ली अंगड़ाई शायद शुभ घड़ी आई,
परिंदो ने छोड़ा आशियां कुछ फासले हैं दर्मियां,
हमको हमसे मिलाने देखो सुप्रभात आ गया।।

कोई राह नहीं मुश्किल मिल जायेगी अब मंजिल,
बहारें आ जायेंगी द्वारे फिर ना मिलेंगे दुखियारे,
पूरब में सूर्य का उजाला हो गया जगमग है जहां,
हमें हमारी राह दिखाने देखो सुप्रभात आ गया।।

प्रकाश से चमक उठी आंखे भौ का अनुमान हो गया,
वो न दे पाएंगे धोखे वफ़ा का जारी फ़रमान हो गया ,
हिला ना पाएंगे झोंके उन पर्वतों का अहसान हो गया,
हमारी नई दुनियां बसाने को देखो सुप्रभात आ गया।।

माया की पहचान हुई अब आकर्षित ना कर पाएगी,
डर गई है वह मुझे देख अब आते ही छिप जायेगी,
कोई अंदर मिला तो आत्मा का मुझसे मिलन हो गया,
जीवन का सार बताने को देखो सुप्रभात आ गया।।

Language: Hindi
1 Like · 205 Views
Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
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