_14_बस मुस्कुराना ही काफ़ी है
रोते को हंसाने के लिए,
सोते को जगाने के लिए,
रूठे को मनाने के लिए,
दिल को बहलाने के लिए,
सबको अपना बनाने के लिए,
बस मुस्कुराना ही काफ़ी है।।
किसी का दिल दुखाने के लिए,
किसी को बे-वजह रुलाने के लिए,
मुश्किलों को भगाने के लिए,
किसी बात को समझाने के लिए,
सेहरा में गुल खिलाने के लिए,
बस मुस्कुराना ही काफ़ी है।।
स्वयं को सफल बनाने के लिए,
ज़िंदगी में बहार लाने के लिए,
किसी की स्मृतियों में छाने के लिए,
अपने हर गम भुलाने के लिए ,
समता भाव बनाने के लिए,
बस मुस्कुराना ही काफ़ी है।।