_11_शायद देश का नक्शा ही बदल गया
खादी का कुर्ता रेशम बन गया,
झूठ बैठा गद्दी में सच पहरेदार बन गया,
इन्सान नहीं इन्सान हैवान बन गया,
नेता नहीं है नेता भगवान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।
इंसानियत खो गई अंधेरी गालियों में,
धन लेना तो कारोबार बन गया,
लुटेरों का तो काम है लूटना,
सफ़ेद पोशों का ईमान बन गया ,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।
कहते थे जिसे भारत महान कभी,
वह नेताओं का निजी सामान बन गया,
यूं तो गरीबों में ईमान बाकी है लेकिन,
वह तो रोटी कपड़ा और मकान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।
यूं तो हर प्राणी है वरदान खुदा का लेकिन,
अब तो वह हमारा खान-पान बन गया,
यूं तो प्रकृति करती है हिफाजत सबकी,
छेड़छाड़ का सबब आंधी तूफ़ान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया।।
भारतीयता थी धर्म हमारे जहां की कभी,
अब भारतीय तो हिंदू मुसलमान बन गया,
जब जरूरत है हमें नौजवानों की यहां,
तो कोई अक्षय कोई सलमान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।