Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2023 · 1 min read

_11_शायद देश का नक्शा ही बदल गया

खादी का कुर्ता रेशम बन गया,
झूठ बैठा गद्दी में सच पहरेदार बन गया,
इन्सान नहीं इन्सान हैवान बन गया,
नेता नहीं है नेता भगवान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।

इंसानियत खो गई अंधेरी गालियों में,
धन लेना तो कारोबार बन गया,
लुटेरों का तो काम है लूटना,
सफ़ेद पोशों का ईमान बन गया ,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।

कहते थे जिसे भारत महान कभी,
वह नेताओं का निजी सामान बन गया,
यूं तो गरीबों में ईमान बाकी है लेकिन,
वह तो रोटी कपड़ा और मकान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।

यूं तो हर प्राणी है वरदान खुदा का लेकिन,
अब तो वह हमारा खान-पान बन गया,
यूं तो प्रकृति करती है हिफाजत सबकी,
छेड़छाड़ का सबब आंधी तूफ़ान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया।।

भारतीयता थी धर्म हमारे जहां की कभी,
अब भारतीय तो हिंदू मुसलमान बन गया,
जब जरूरत है हमें नौजवानों की यहां,
तो कोई अक्षय कोई सलमान बन गया,
शायद देश का नक्शा ही बदल गया ।।

Language: Hindi
1 Like · 212 Views
Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
View all

You may also like these posts

मैं घर का मेंन दरवाजा हूं।
मैं घर का मेंन दरवाजा हूं।
manorath maharaj
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
Ravikesh Jha
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
Ranjeet kumar patre
नए साल का सपना
नए साल का सपना
Lovi Mishra
माँ ऐसा वर ढूंँढना
माँ ऐसा वर ढूंँढना
Pratibha Pandey
*मनकहताआगेचल*
*मनकहताआगेचल*
Dr. Priya Gupta
2688.*पूर्णिका*
2688.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य मिलता कहाँ है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
- तुझको देखा तो -
- तुझको देखा तो -
bharat gehlot
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ  ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
DrLakshman Jha Parimal
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
बुराई कर मगर सुन हार होती है अदावत की
बुराई कर मगर सुन हार होती है अदावत की
आर.एस. 'प्रीतम'
सलाम मत करना।
सलाम मत करना।
Suraj Mehra
कठवा
कठवा
Dr. Kishan tandon kranti
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
*प्रणय*
रिश्ते फरिश्तों से
रिश्ते फरिश्तों से
Karuna Bhalla
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इशारा नहीं होता
इशारा नहीं होता
Neelam Sharma
खुशियों की डिलीवरी
खुशियों की डिलीवरी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
Ajit Kumar "Karn"
आकाश पढ़ा करते हैं
आकाश पढ़ा करते हैं
Deepesh Dwivedi
होता नहीं कम काम
होता नहीं कम काम
जगदीश लववंशी
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
प्रेमदास वसु सुरेखा
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
Shweta Soni
जीव जीवन में है परमेश्वर वास
जीव जीवन में है परमेश्वर वास
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आदमी क्यों  खाने लगा हराम का
आदमी क्यों खाने लगा हराम का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
साधना की मन सुहानी भोर से
साधना की मन सुहानी भोर से
OM PRAKASH MEENA
व्यथित मन
व्यथित मन
सोनू हंस
Loading...