_”जल-जीवन-हरियाली”_
“जल-जीवन-हरियाली”
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धरती मांगे
सदा ही हरियाली
पेड़ लगाओ।
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फूलों से सजा
तुम भी देखो जरा
ये उपवन।
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जल व हवा
मानव जीवन में
जरूरी सदा।
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मत तोड़ो ये
फूल खुशबूदार
हम कहेंगे।
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स्वरचित सह मौलिक
….. ✍️पंकज “कर्ण”
………….कटिहार।।