989 जा लौट जा
क्या मिलेगा तुझे यूँ,
दूर से मुझको देखकर।
तड़प तेरी बढ़ती रहेगी,
इस तरह दिल फेंक कर।
वह दिन अब बीत गए,
जब हुए थे एक हम।
बिखर गए सब हरफ़ वो,
जो बने थे गीत तब।
जा लौट जा अब तू,
बहुत हो चुकी है देर अब।
साफ हो गए निशां सब,
जो लिखे थे रेत पर।
राहें हमारी अलग हैं,
अब ना होंगे एक हम।
जा लौट जा अब तू,
बहुत हो चुकी है देर अब।