964 रहगुज़र
तेरी रहगुज़र से न जाने, गुज़र गए कब।
विरानगी का ना आया,ख्याल ,गुजरे जब।
तेरी रहगुज़र से………।
ख्यालों में मेरे, तू आई ,ना गई जब।
राह गुजर न जाने ,गुज़र गया कब।
तेरी रहगुज़र से………।
यूँ तो रहगुज़र थी लंबी बहुत ।
तुम्हारी चाह में ,फासला ,ना जाने तय हुआ कब।
तेरी रहगुज़र से………।
पाने को दीदार ए यार ,चलते गए।
पता ही ना चला , खा़र ए राह बन गए गुल कब।
तेरी रहगुज़र से………।