ढलता हुआ सूरज
ढलता हुआ सूरज
चढती हुई साँझ
देर हो गयी है .
मुसाफिर घर लौट रहे हैँ
.
रोज की तरह घर पहुँचने की जल्दी
घर पहुँच कर आराम करें
सब यही सोंच रहे हैं .
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ज्यों ज्यों सांझ ढलती है
उतनी ही मन में मन मे हलचल मचती है
घर पर बूढ़ी माँ की आँखे
घर आ जाने तक रस्ता तकती हैं
देव की कलम से
03/11’2017