9- सीमा के प्रहरी
सीमा के प्रहरी
सीमा पर वीरों की टोली उद्यत खाने को गोली ।
वे सदा सजग ही रहते हैं गर्मी-सर्दी सब सहते हैं ।
टैम्प्रेचर जब माइनस में हो ड्यूटी से अपनी विमुख न हों।
चाहे बालू हो चाहे हो बीहड़ चाहे पानी हो या हो कीचड़ ।
वे सीमा के सच्चे प्रहरी हैं और राष्ट्र के असली शहरी हैं।
उनकी सेवा अनमोल सदा वे कभी न होंगे दिल से जुदा ।
वे देश की रक्षा करते हैं शत्रु सम्मुख नहीं थकते हैं।
वे परिवार मोह का त्याग करें बस देश-धर्म से प्यार करें।
सच्ची सेवा सच्ची निष्ठा जीवन का उद्देश्य यही ।
सीने पर गोली खाते हैं पीछे हटते हैं कभी नहीं ।
वीरों का जज़्बा देख-देख हम गर्व सदा ही करते हैं।
जो प्राण निछावर करते हैं हम उन सबके आभारी हैं।
हम उनका कर्ज़ न चुका सकें ये हम सबकी लाचारी है।
“दयानंद”