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१२२२–१२२२–१२२
अक है
हमारी चाह तो बस तुम तलक है
तुम्ही बोलो तुम्हे किसकी कसक है
खुलेगा राज सीने में दफ़न है
छुपा लेती थी जो पलके भनक है
ज़माने ने सभी कुछ तो दिया है
न जाने क्यूं लगे लम्बी सड़क है
मिलाकर आंख कह देते हमीं थे
चुरा नज़रे गये जैसे कि शक है
दिया दिल का बुझाकर क्यूं गये तुम
दिये में तेल बाती अब तलक है
फ़िज़ाओं से कहो तो बोल दूं मैं
तुम्हे मेरी खुदी पे पूरा हक है