865 देश के वीर
देश के वीरों ने दे कर जान।
मां भारत की रखी शान।
दि धी आजादी की जंग को चिंगारी।
भारत माँ सदा तुम्हारी रहेगी आभारी।
तुम थे देश के सच्चे सपूत।
ऐसी कि तुमने करतूत।
देखते रह गए बैठे अंग्रेज।
दीवानों ने अपना लक्ष्य दिया भेद।
जो ठाना था कर दिखाया।
असेंबली में बम गिराया।
फिर भी देखो डरे नहीं।
कोई भी जुबान से मुकरा नहीं।
डर नहीं किसी को, जो आए मौत।
यह तो उन वीरों के लिए थी सौगात।
अमर हो गए वह सूली पर चढ़कर।
देश ने भी नारे लगाए बढ़ चढ़कर।
रखना यह आजादी संभाल के।
जो मिली है जान कुर्बान से।
इस देश को करना तुम प्यार।
यही होगा उन पर उपकार।
देश को एक बार फिर बचाना गद्दारों से।
नहीं तो फिर झूलना पड़ेगा मीनारों पे।
जान से कीमत चुकानी पड़ेगी।
आजा़दी फिर भी महंगी पड़ेगी।
रखना तुम आजादी को संभाल।
उनकी कुर्बानी ना जाए बेकार।
वो हो गये हँस कर कुर्बान।
बोलकर भारत माता की जय जयकार।