861 आशा और निराशा
आशा जो ना रखी किसी से तो,
निराशा भी कहाँ मिलेगी।
हिम्मत जो तूने रखी तो,
कामयाबी जरूर मिलेगी।
खुद पर भरोसा कर।
खुद से ही हिम्मत दिखा।
रख नजर मंजिल पे,
मंजिल ज़रूर मिलेगी।
तू चला चल अपने,
कर्म के रास्तों पर।
आशा ना रख कुछ फिर भी।
किस्मत ज़रूर खुलेगी।
आशाओं के भँवर में,
मत गवाना तू समां।
रखना खुद पर भरोसा ,
फिर देखना….
हर कली खेलेगी ।
12.04pm 19March 2019