Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2024 · 1 min read

8.सूरज मत हुआ करो उदास,

सूरज मत हुआ करो उदास,
सुन लो बस मेरी यह बात ।
तुम ढलते हो तो सब संसार,
सुस्ताने लगता है आर पार,
अंधकार आता है जब बांहें पसार,
कहते सब यही बार-बार।
सूरज मत हुआ करो उदास,
सुन लो बस मेरी यह बात ।
तुम्हारे रहते , रहते सब बेखबर
ढलते हो तुम,तो हो जाते बेअसर ।
प्रकृति अपना नियम उलट कर ,
रहता नियत बदलने को डर ।।
सूरज मत हुआ करो उदास ।
सुन लो बस मेरी यह बात ।
यूं तो इस भयावह जंगल में,
तुम उगकर भी नहीं उगते हो।।
फिर भी तुम्हारे होने का एहसास,
देता है सुख चैन और दिलास ।

सूरज तुम मत हुआ करो उदास।
सुन लो बस मेरी यह बात ।
यूं तो तुम्हारी यह उदासी ,
उस नीड़ की है याद दिलती ,
जिसे छोड़ सभी संगी साथी,
स्वहित रख देते सब धाती ।
फिर भी तुम मत हुआ करो उदास।
सुन लो बस मेरी यह बात ।
——————-*******———

32 Views
Books from Lalni Bhardwaj
View all

You may also like these posts

"बीते लम्हें"
Dr. Kishan tandon kranti
3374⚘ *पूर्णिका* ⚘
3374⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
विरोध
विरोध
Dr.Pratibha Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मोलभाव
मोलभाव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नव दीप जला लो
नव दीप जला लो
Mukesh Kumar Sonkar
एक चुप्पी
एक चुप्पी
Lalni Bhardwaj
अब मज़े बाक़ी कहाँ इंसानियत के वास्ते।
अब मज़े बाक़ी कहाँ इंसानियत के वास्ते।
*प्रणय*
जिंदगी के सवाल
जिंदगी के सवाल
Sudhir srivastava
कोरोना (कहानी)
कोरोना (कहानी)
Indu Singh
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
हुस्न उनका न कभी...
हुस्न उनका न कभी...
आकाश महेशपुरी
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
मुस्कान
मुस्कान
पूर्वार्थ
जिम्मेदारी कौन तय करेगा
जिम्मेदारी कौन तय करेगा
Mahender Singh
लो फिर नया साल आ गया...
लो फिर नया साल आ गया...
Jyoti Roshni
संवेदनहीन
संवेदनहीन
Shweta Soni
एक उदास लड़की
एक उदास लड़की
Shekhar Chandra Mitra
उपेक्षित फूल
उपेक्षित फूल
SATPAL CHAUHAN
काश किसी को...
काश किसी को...
अमित कुमार
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हिंदी दोहे -कदंब
हिंदी दोहे -कदंब
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*जाने-अनजाने हुआ, जिसके प्रति अपराध (कुंडलिया)*
*जाने-अनजाने हुआ, जिसके प्रति अपराध (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
माथे की बिंदिया
माथे की बिंदिया
Pankaj Bindas
गर्मी और नानी का घर
गर्मी और नानी का घर
अमित
International Chess Day
International Chess Day
Tushar Jagawat
जब किनारे दिखाई देते हैं !
जब किनारे दिखाई देते हैं !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
वह भी और मैं भी
वह भी और मैं भी
Minal Aggarwal
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...