8- देश का उत्थान
देश का उत्थान
भ्रष्ट हों अधिकारी नेता, देश की न हो तरक्की ।
कुत्ते चाटते रहेंगे आटा, अंधी पिसती रहेगी चक्की ।।
हाईस्कूल इन्टर पास, यदि बनते हैं मन्त्री |
क्या है अन्तर योग्यता में, मन्त्री व सन्तरी।।
ईमानदारी है जरूरी, यदि चाहो देश का उत्थान।
योग्यता के अभाव में, देश न बने महान।।
जनता का जागरूक होना है जरूरी।
चुनाव में नेता के, ईमानदारी हो पूरी ।।
पार्टी बाज़ी गुटबाज़ी, न कोई विकल्प हो।
देश के उत्थान हेतु, यही संकल्प हो।।
योग्यता के बल पर हो, मंत्रालयों का आवंटन।
पार्टी के पक्ष या विपक्ष का, न हो कोई बन्धन।।
दागी भ्रष्टाचारी से, न हो काई वास्ता ।
सत्ता से दूर कर खोलो, बन्दीगृह का रास्ता।।
वैसे मुझे लगता है, केवल एक सपना।
पीढ़ियों का साधन, करते केवल नहीं अपना।।
कार्य अनैतिक करें होती नहीं आत्मग्लानि ।
आये यदि माल घर में, लगती नहीं कोई हानि ।।
देश का हो उत्थान, हमें सोच बदलनी होगी।
सन्तोष धन ग्रहण कर, हमें बनना होगा अल्प योगी।।
“दयानंद”