8 आग
8 आग
आग हर मुल्क हर शहर में है ,
आग हर ज़हन हर एक घर में है …
आग जो कुछ मिटाये , आग है बस ,
आग दूर्गुन जलाये होली है ….
आग ही खाब , तेरा और मेरा ,
आग जिसने ज़माने को घेरा ,
आग बम में छिपी , कयामत है ,
आग भोजन पकाये होली है ….
आग का अंत राख ही है मगर ,
और अंधेरों से जंग ही है सफर …
आग पावन हो और निरंतर हो ,
भाई जीवन ही एक होली है ….
एक छोटी सी लौ , लिए निकले ,
मेहनतों से जलीं मशालें भी ..
आग जो करे , तुझे मुझे रोशन ,
कह सकुंगी आज होली है ….
– क्षमा ऊर्मिला