708 तेरे बग़ैर जीना सीख लिया था
तेरे बग़ैर जीना सीख लिया था।
खुशी को करीब लाना सीख लिया था।
जो तुम ना आते सामने मेरे यूं,
हमने भी हंस हंस के जीना सीख लिया था।
तुझे भी बताना चाहते थे हंसी की वजह।
पर आंसुओं का क्या करें ,निकल आए बेवजह।
अक्समात निकल आए तुम्हारे सामने।
वरना सबको, हंसता चेहरा दिखाना सीख लिया था।
तेरे बग़ैर जीना…………..।
खुशी को करीब लाना…. ।