4-मेरे माँ बाप बढ़ के हैं भगवान से
ज़िन्दगी ये मिली जिनके एहसान से
मेरे माँ बाप बढ़ के हैं भगवान से
जब निगहबान ही भेड़िया बन गया
अस्मिता क्या छुपेगी गिरेबान से
काँच सा ये चटक जाएगा देखना
कीजिये दिल को महफ़ूज़ चट्टान से
तख़्त और ताज से था नवाज़ा जिन्हें
ढा रहे हैं सितम अपने फ़रमान से
ये कटीले नयन और नज़ाकत तेरी
मार डालेंगे इक दिन मुझे जान से
आशिक़ी तीरगी से मुझे हो गई
रौशनी डालना तुम ज़रा ध्यान से
इश्क़ के नीर से सींच देना ‘विमल’
उड़ के आएगी ख़ुशबू गुलिस्तान से
– अजय कुमार ‘विमल’