7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
आओ मिल कर दीप जलाएँ🪔🪔🪔🪔🪔
आलोकित करे दीप दीपावली,
प्रेम की बाती बनायें,
विश्वास के दीपक संग,
उम्मीदों से भरी,अखंड जोत जलाएँ।
“आओ मिल कर दीप जलाएँ”
संस्कार दायित्व कर्तव्य निभाएँ,
माता-पिता,भाई-बहन,गुरु-मित्र सब मिल आएँ,
ख़ुशियों के सागर की पहचान कराएँ।
“आओ मिल कर दीप जलाएँ”
गणपति श्री गौरी आएँ,
आरोग्यता और स्वास्थ्य,साथ लाएँ।
झोली ख़ज़ानों से भर जाए,
सुख समृद्धि का लाभ उठाएँ।
“आओ मिल कर दीप जलाएँ”
विधि विधान से पूजा कराएँ,
दानी हो जीवन, मदद हो जीवन,
साकार हो जीवन,खुशहाल हो जीवन,
ऐसा हो जीवन…दुआ में सर झुकते जाएँ।
“आओ मिल कर दीप जलाएँ”
वाणी में मधुरता लाएँ,
शब्दों को चख चख जाएँ।
श्री राम माँ सीता का,
स्वागत समारोह मनाएँ।
“आओ मिल कर दीप जलाएँ”
उपहारों और मिष्ठानों का भंडार सजाएँ,
प्रेम सौहार्द को संग बढ़ाएँ,
अंधेरी रात हो रोशन रोशन,
अंधकार धरा पर दूर भगाएँ।
जगमग जगमग,घर आँगन में,हो दीप दिवाली,
सूनी रहे न डगर कोई,आशा की बाती जगाएँ,
मिल जुल कर हम ख़ुशी मनाएँ।।
“आओ मिलकर दीप जलाएँ”
खूब कहा है….
घना हो अंधेरा,चाहे कितना..
प्रकाश को हिला सकता नहीं।
और…
इस प्रकाश से खुद को,मिटने से,
बचा सकता नहीं🙏🏻
✍🏻स्व-रचित/मौलिक
सपना अरोरा।