*7फिल्म – पिया कि मेंहदी। 9515651283
*7फिल्म – पिया कि मेंहदी। 9515651283
स्क्रिप्ट – रौशन राय का। 7859042461
तारीख -07 -06 -2022
वर्णा तु यहा से चलकर नही जाएगा
तिसरा गुंडा – बेटे तुझे ही हम लेने आए हैं चल बस से उतर शांति पुरवक.. नहीं तो यहां से लाश से भड़ी बस जाएगी और इसका जिम्मेदार तु होगा
सलीम ने कुछ सोचा और फिर बस से नीचे उतर आया और कहा पहले तु बस को जाने दें
चौथा गुंडा – हां हमें इन वेकुआसर लोगों को मार कर भी क्या मिलेगा
सलीम खान – अच्छा पहले तु सब ये बात कि तु सब हैं कौन और मुझसे चाहता क्या है
दुसरा गुंडा – हम सब लंगुरिया के आदमी हैं और तुझे लेने आए हैं सिंधे चलेगा तो हम तुम्हें कुछ नहीं करेंगे नहीं तो इस बस के सभी यात्रियों को लाश में बदल देंगे
सलीम – एक सरकारी आॅफिसर हैं और इसका फर्ज बनता है कि वो इन सब यात्रियों का रक्षा करें चाहें इसके लिए उन्हें अपने लिए कोई भी मुल्य चुकाना पड़े
तिसरा गुंडा बस में भीतर गया और एक बच्चे को पकड़ कर लें आया उसके मां का रो रो कर बुरा हाल होने लगा बच्चा दो साल का था
चौथा गुंडा ने सब यात्रियों से कहा कि अगर तुम सब अपनी जिंदगी चाहतें हो तो इन से कहों मेरा बात मान लें
सभी यात्रि सलीम से कोई हाथ जोड़ता तो कोई निवेदन करता किसी के बच्चे अभी दुंध ही पी रहा था तो कोई बुढ़ा था ये सब सलीम से अपनी जान कि भीख मांगने लगा
बुढ़ा आदमी बेटा मुझे बचा लो मैं अभी मरना नही चाहता हमारे बहूं को बच्चा होने वाला है मैं अपने पोते को देखना चाहता हूं
एक औरत भैया मेरा मेरे बच्चे का रक्षा करो और अपनी आंचल फाड़ कर सलीम के हाथों में बांधते हुए बोली ये मैं तुम्हें राखी बांधी है और मेरा पति दो महीना पहले मर गया बस मेरा बच्चा ही मेरे जीने का सहारा हैं
एक अंधी बुढ़िया बोली बेटा अगर तुम्हारे मां बाप को पता चलेगा कि तुमने अपनी जान बचाने के लिए इतने यात्रियों का जान लें लिया तों क्या वो तुम्हें अच्छा कहेगा अगर मैं तुम्हारी मां होती तो क्या तु मुझे मरने के लिए छोड़ देता
सलीम देखा मेरे एक के जान जाने से अगर ये सब बच जाएगा तों मैं इन सबको बचा लूंगा सलीम आप लोग चिंता ना करो आप सब को मै कुछ नहीं होने दुंगा आप सब अपने अपने घर सुरक्षीत जाएंगे
सलीम खान {हीरो} हां बोल रे नपुंसक सब हमें क्या करना है
पहला गुंडा – हमें तुम अपने हाथ पैर को पहले बांधने दें
सलीम – हां आ बांध लें
गुंडा आया और सलीम को बांध दिया
सलीम – अब पहले बस को जाने दें
गुंडा नहीं जानें दिया तों
सलीम – तों फिर तेरा साथी जानता है कि मैं क्या कर सकता हूं
दुसरा गुंडा – हां बस को जाने दें रहें बस ड्राइवर जा तु अपने यात्रियों को लेकर जा
बस ड्राइवर सारे यात्रियों को लेकर चल दिया
अब बचा गुंडा और सलीम चार आदमी सलीम के रस्सी को एक पेड़ से बांध कर पकड़ा हुआ था
दोनों हाथ पैर सलीम का बांध दिया था
सलीम ने जैसे अपना ताकत लगाया कि पेड़ उखड़ गया तब तक इसी बीच एक गुंडा ने पिछे से अपनी पुरी ताकत से सलीम के सर पर लोहें के राड से दें मारा और सलीम वहीं बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा
सारे गुंडे सलीम को रास्ते पर खिंचते हुए अपने बाॅस लंगुरिया के पास ले गया
******
आज से सलीम को अपना पोस्ट सम्भाला था और वो पहुंचा नहीं सलीम के मोबाइल पर फोन लगाता है तो स्वीच ऑफ कहता है
सलीम के पत्नी जरीना फोन लगातीं है तो स्वीच ऑफ कहता है
जब छुट्टी के समय से पांच दिन ज्यादा हो गया तों सलीम के बड़े आॅफिसर ने एक आदमी को पता देकर सलीम के घर घर पर भेजा
और उसके पड़ोसी से पुछा कि सलीम खान का घर कौन है तो पड़ोसी ने उस सरकारी आदमी को सलीम का घर दिखा दिया
वो सरकारी आदमी ने सलीम के घर के दरवाजे पर दस्तक दिया तों सलीम का भाई रिजवान खान ने दरवाजा खोला
सरकारी आदमी – नमस्कार
रिजवान खान – हां कहिए आप कौन हैं और कहां से आएं हैं
सरकारी आदमी – मेरा नाम देवदत्त हैं और मैं सरकारी कर्मचारी हूं मैं सलीम सर के आॅफिस से आएं हैं क्या बात है कि वो अभी तक डियुटी पर नहीं पहुंचे हैं
रिजवान खान – आप अंदर आइएं और सर मेरा भाई सलीम तो अपने डियूटी के लिए आज से पांच दिन पहले जा चुका है
देवदत्त – क्या
रिजवान खान – हां सर सलीम अपने डियुटी के लिए आज से पांच दिन पहले जा चुका है
देवदत्त – हमारे आॅफिस से लगभग सारे छोटे बड़े आॅफिसर ने सलीम खान को फोन किया जब उनका फोन नहीं लगा तों हमारे आॅफिस से ये कहा गया कि उनके घर पर जाकर पता लगाओ कि सलीम कहा और किस हालत में हैं कहीं उसका तबियत तों ज्यादा ख़राब नहीं हो गया लेकिन फोन क्यों नहीं लग रहा है हम सब आॅफिसर के लिए ये चिंता का विषय था और हम आपके घर पुछ ताछ के लिए आ गए
तब तक घर के सारे लोग इकट्ठा हो गए और पिता जी पुछे
जैनुल खान – रिजवान बेटा ये कौन है और सलीम के बारे में क्या कह रहें हैं
रिजवान – बाबा ये सलीम के आॅफिस का आॅफिसर हैं और ये कह रहें हैं कि सलीम अभी तक डियुटी पर नहीं पहुंचा है
जैनुल खान – नही नही आॅफिसर मेरा बेटा सलीम अपने डियुटी के लिए यहां से जा चुका है
अब तो आॅफिसर का बात सुनकर मां बहन रोने लगी जरीना का तों जैसे बुरा हाल होने लगा फ़िरदौस और नुरी भाभी जरीना को सम्भालने लगी जब कि नुरी भाभी के पेंट में लगभग आठ महीने का बच्चा था वो अपना और अपने होने वाले बच्चे का फिक्र था
आॅफिसर ने कहा देखिए आप लोगों को इतना चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है आप लोग भी पता लगाइए और मैं जाकर अपने आॅफिस में ये सुचना देता हूं कि सलीम अपने डियुटी के लिए वो अपने निर्धारित समय पर निकल चुका है पर वो आॅफिस नही पहुंचा तो सलीम का खोज सरकार भी करेगा
जैनुल खान – हां आॅफिसर आप सब मेरे बेटे को खोजकर मुझे दें
नाईदा मां – अगर मेरा बेटा नहीं मिला तों अपने बहूं से क्या कहूंगा वो बेचारी तों जीतें जी मर जाएंगी
फ़िरदौस – आॅफिसर भैया मेरे भैया को ढ़ुढ कर आपके सरकार लाएगा
सबके बातों में हां हां करता आॅफिसर वहां से चल दिया और अपने आॅफिस पहुंच कर सारे बात बताया
सलीम के बारे में ऐसा बात सुनकर सब छोटे बड़े आॅफिसर दुखी हुए
और बड़े आॅफिसर ने कहा सलीम खान को हमें हर हाल में खोजना होगा और ये सरकार का दायित्व है
जब जरीना के मैके में सलीम के बारे में ऐसे बात सुना तों उनके मैके से मां बाप और भाई सब मिलने जरीना के ससुराल आए और अपने बेटे को समझा बुझाकर कर शांत होने को कहा
युनुस खान – कहां बहन तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है हम सब जमीन आसमान एक कर देंगे सलीम की खोज में और हमारे साथ सरकार भी तों हैं
******
जब लंगुरिया के सामने सलीम खान {हीरो} को बहुत बुरा हाल करके लाया गया तो लंगुरिया ने कहा
लंगुरिया गुंडा का बाॅस – तों तुम हों सरकार और पुरे वन प्रदेश का रक्षा का ठिका लेने वाले आॅफिसर तुने ही हमारे दस आदमी को पकड़ कर जेल में डाल दिया है
एक गुंडा – बाॅस ये अपने दम पर पुरे वन का पेड़ नहीं कटने देंगे ऐसा कह रहा था
लंगुरिया – अरे बेवकूफों ये कह नहीं रहा था ये कर दिया इसके चलते हमें कितनी बेजती सहनी पड़ी
सलीम – लंगुरिया को सिर्फ घायल शेर की तरह देख रहा था
लंगुरिया – अपने आदमियों को संबोधित करते हुए कहा तुम सब जानते हो ये आॅफिसर बहादुर नहीं बेवकूफ है क्योंकि इससे पहले जितने भी आॅफिसर आये वो सब हमसे हाथ मिलाकर लाखो करोड़ो रुपए कमाया वो भले आदमी अभी जेल में बंद हैं लेकिन उसका परिवार वाले तो खुश हैं उसका बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़ता है और वो भी कुछ दिनों छुट जाएगा
और मैं उन सब आॅफिसरों से जादा रुपया देने कि कोशिश कि लेकिन बेवकूफ हमसे दोस्ती नहीं दुश्मनी मोल ली अब इसे हम सिखाएंगे कि मेरा नाम है लंगुरिया
जा इसे अपने ज़मीन के नीचे वाले कमरे में बंद कर दें इसे खाने के लिए देना मगर पेट भर नहीं पानी देना पर प्यास बुझाने भर नही कमरे में रौशनी के नाम पर बुझने कि हालत में मोमबत्ती इस मोटे मोटे लोहे के जंजीर से बांध कर रखो और वो भी जिंदा जा इसे ले जाओ
लंगुरिया का आदमी सलीम को ले जाकर उसे किसी जानवर कि तरह उस कमरे में बंद कर दिया और मोटे मोटे लोहे के जंजीर से बांध दिया
******
अब सरकार ने अपने पुरी पावर लगा दिया सलीम को खोजने में पेपर में छपवाया टीवी पर सलीम के फोटो के साथ जानकारी दी जनता को और कहा सलीम के बारे में जानकारी देने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा बातों बातों में आज साल गुजर गया पर सलीम का खोज तों दुर कोई सुराग तक नहीं मिला
अब रिजवान का बेटा भी दस महीने का हो गया और सलीम के परिवार वाले सलीम की खोज करते करते अब हिम्मत हारने लगा और समील के आॅफिस में चक्कर काट काट कर थक चुका
रिजवान – सलीम के आॅफिस पहुंच कर गुस्सा करते हुए आॅफिसर से कहा क्या बात है सर एक साल हों गया और अभी तक मेरे भाई सलीम का कोई पता कि बात तों दुर कोई सुराग तक आप लोगों को नहीं मिला मैं और मेरे पिता जी इस आॅफिस का चक्कर काट कर और आप लोगों से विनती करके थक गया पर आप लोग कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे रहें हैं
आॅफिसर – देखो आपको लगता है कि हम सब आपके भाई का खोज नहीं कर रहे हैं तो ये आप सब गलत सोचते हैं क्योंकि सरकार हर तरह से कोशिश कर रही है सलीम को ढूंढने की,जब हमारे पास ही कोई संतोषजनक बातें नहीं है तो मैं क्या आपको झुठी बात कहूं कि ऐसा होने वाला है वैसा होने वाला है
रिजवान – थोड़ा शांत हुआ और कहा सर सलीम की बीवी के आंखों का अब आंसू समंदर भी सुख गया चार चार दिन तक मुंह में अन्य का एक दाना नहीं डालती ऐसे में मन तो दुःखी होगा न
आॅफिसर – हां मैं आपकी बात को भली-भांति समझ रहा हूं मैं सलीम के बीवी के बारे में सुन चुका हूं फिर भी मैं आपको झुठी तसल्ली तो नही दे सकता है देखिए रिजवान जी गुस्सा से नही शांति से हम सब सलीम को खोजते हैं सुनिए रिजवान जी भाई तों वो आपका भी है आप या आपके पिता जी से जितना संभव होता है आप खोजने की कोशिश किजिए सरकार से पैसा हम दिलवा देंगे
रिजवान खान- सोचा आॅफिसर का कहना भी ठीक है और हां में सर हिलाया और वहां से अपने घर आ गया
रिजवान के आते ही सारे लोग जैसे रिजवान पर सवालों से हमला कर दिया
पर आज जरीना अपने कमरे से बाहर नहीं निकली वो एकदम मायूस और उदास थी लेकिन हाल जो भी हो वो सलीम के खैरियत के लिए पांचों वक्त का नावाज और कुराने पाक को पढ़ती और अल्लाह ताला से सलीम के वापस होने के लिए और खैरियत के लिए दुआ मांगती
युनुस खान आया और कहा मेरी बहन कुछ दिन के लिए मैके चल तुम्हारे सब घर वाले ये कहते कि अगर मैके जाएगी तों हो सकता है कि सखी सहेली में थोड़ा मन बदल जाएं
जरीना ने साफ मना कर दिया और कहा कि आप लोग मेरा फ़िक्र ना करें मैं सलीम के यादों के सहारे जी लूंगी
नुरी और फ़िरदौस जरीना को पकड़ कर सबके सामने लाया
जरीना बैठ गई तब उसकी सांस कहने लगी कि मेरे बच्ची मैं तुम्हारे दुःख को जानती हूं और हम सब इस बात से दुखी हैं सलीम तेरा सौहर का पर वो मेरे कोख का दीपक बेटी सोच कि मैं कितने दुखी हो सकती हूं पर बेटी दुखी रहने से हर काम तो पुरा नही होता काम तो करना ही पड़ता है न
जरीना – हां कहिए क्या काम मैं पुरा करु
जैनुल खान – बेटी अब तेरी ननद विवाह योग्य हो गई है क्या तुत ये नहीं चाहती कि तुम्हारे ननद के विवाह हो
जरीना – मैं ने तो नही रोका फ़िरदौस कि विवाह
नुरी – नहीं मेरी बहन तुमने रोका नही लेकिन फ़िरदौस कहती हैं कि अगर मेरे छोटी भाभी ऐसे रहेगी तों मैं निकाह नहीं करुंगी ऐसे हालात में अब तुम्हें सम्हालना पड़ेगा और अपने ननद के संसार को बसाना पड़ेगा हम सब तुम्हारे हां का इंतजार कर रहे हैं
फ़िरदौस – लेकिन भाभी आप अगर उदास रही तो सच में मैं निकाह नहीं करुंगी
जरीना को लगा कि सब सही कह रहे हैं हमारे जीवन में क्या लिखा है ये तो अल्लाह ही जाने पर मेरी ननद ने मेरा बहुत ख्याल रखी है तो मैं इसका संसार कैसे न खुशी खुशी बसने दूं और फ़िरदौस को अपने पास बुलाकर चुम लिया और बोली हां मेरे बहन तेरे दुनिया मैं जरुर बसवाऊंगी
सारे लोगों के चेहरे पर आज तीन साल के बाद थोड़ा सा मुस्कान आया हैं