6 लहरें क्यूँ उफनती
6 लहरें क्यूँ उफनती
लहरें क्यूँ उफनती सागर से रूठ के
कौन कहेगा चांद की साजिश नहीं …
सूखी है आज मन की बंजर ज़मी
ये आंसू हैं कोई मौसमी बारिश नहीं …
रूह के ज़ख्म स्नेह ही है मरहम
और किसी दवा की गुंजाइश नहीं …
– क्षमा ऊर्मिला