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28 May 2024 · 1 min read

58….

58….
ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़बून महज़ूफ़ मक़तू
फ़ाएलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
तेरी दुनिया नई नई है क्या
रात रोके कभी, रुकी है क्या
#
तुम बदल लो ,मिजाज भी अपने
अब शराफत से, दुश्मनी है क्या
#
चीर कर मै दिखा नहीं सकता
दिल बची कोई जिंदगी है क्या
#
जादु-टोना कभी-कभी चलता
सोच हर पल ,यों चौकती है क्या
#
तीरगी , तीर ही चला लेते
पास कहने को, रौशनी है क्या
#
सर्द मौसम, अभी-अभी गुजरा
बर्फ ज्यादा कहीं जमी है क्या
#
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712

27 Views
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