55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
mufta’ilun faa’ilun mufta’ilun2112 212 2112
अब यहाँ इस बात की सनसनी है
खूब अदावत भी यहाँ आ ठनी है
हमने तराशा उसे हीरा बना
आज चमक फिर वहीं दो गुनी है
आग बबूला है सरकार मिरे
नब्ज किसी बात दब के तनी है
जोर लगा देख लो आप तमाम
आमदनी आप लुटी रह-जनी है
आप के नाचीज को जागीर मिले
हर किरण उम्मीद डरी अन-मनी है
आप ने हर फैसला कमजोर लिखा
कातिलो की खैर अभी अन – सुनी है
पल वो मिलाया था हमें बीच कहीं
रिश्तों की दीवार वहीं अध- बनी है
शेर जँगल ढेर खुले घूम रहे
खुश्क बँधी योजना की शेरनी है
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712