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28 May 2024 · 1 min read

51…..Muzare.a musamman aKHrab:: maf’uul faa’ilaatun maf’uul

51…..Muzare.a musamman aKHrab:: maf’uul faa’ilaatun maf’uul faa’ilaatun
221 2122 221 2122
चोरी के सिक्को में, चाँदी की खनक नहीं है
इस राज क्या हवाले, हमको भनक नहीं है
@
ले जाती जिंदगी ,अपनी रूह को अकेले
गिनती के चार दिन, हैं अँधेरे ,चमक नहीं है
@
रोकी अगर है राहें, ठहरा सा कारवां है
मंजिल नजर न आती, राही सजग नहीं है
@
इन खिड़कियों के परदे ,दरवाजों की नक्काशी
बेजान सब लगे जो, तेरी वरक़ नहीं है
@
मौसम नहीं किताबों में, फूल कुछ दबाते
बीते हुए जमाने, यादों महक नहीं है
@
अपनी कमी, कहाँ तक आखे, चुरा सका मै
आखों गई हया, दिल में कम- झिझक नहीं है
@
मयखाने में भुला बैठा, सब नसीहतों को
उस आदमी, दुवाओं कोई शतक नहीं है
रिश्तो को खून की परखा , तब समझ में आया
आपस लगाव उपरी, दिल में नमक नहीं है
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,जोन 1 स्ट्रीट 3 A
दुर्ग छत्तीसगढ़
मोबाईल :7000226712

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