#दोहे
हिंदू-मुस्लिम भूख सम , इसे मिटाना काम।
रोटी कब है पूछती , है रहीम या राम।।
आए थे जो मारने , लगे बचाने लोग।
दया नहीं ये सीख है , मिली लिए संयोग।।
उठते मन में भाव तो , कोई तो है बात।
पवनों के झोंके लिखें , लहरों के जज्बात।।
घटना-बढ़ना चाँद का , बतला रहा स्वभाव।
कड़वे-मीठे बोल सब , कहें हृदय का चाव।।
कनक-कनक निज रूप में, रखते अपना मान।
एक भगाए भूख को , एक अंग की शान।।
केलि-केलि पर मत करो , अच्छा नहीं स्वभाव।
पल में इससे जंग हो , करदे मन अलगाव।।
शब्द-अर्थ की समझ से , बदलें जीवन खेल।
ग़लत समझ मन मैल हो , सही समझ से मेल।।
#आर.एस.’प्रीतम’