*5 फिल्म – पिया कि मेंहदी
*5फिल्म – पिया की मेंहदी। 9515651283
स्क्रिप्ट – रौशन राय का। 7859042461
तारीख – 01 – 06 – 2022
सबके आंखों में आंसू भरा था
शमशेर खान – अपने समधी जैनुल खान को कहते हैं कि समधी जी अगर किसी प्रकार कि कोई कमी रह गया हो तो आप अपना घर समझ भुल जाइएगा
जैनुल खान – क्या बात करते हैं समधी जी आपके खातेदारी को मैं और मेरा समाज कभी नहीं भुल पाएंगा
तब तक रिजवान खान भी आ जाता है और कहता है क्या बात है चाचा जान आपके आंखों में आंसू
शमशेर खान – बेटा ये तो खुशी के आंसू हैं जो तुमने इन आंखों को दी हैं और बेटा बारात के खातेदारी में कोई कमी रह गया हो तो मुझे माफ़ कर देना
रिजवान खान – शमशेर खान को गले लगाते हुए कहा चाचा जान ऐसे खातेदारी शायद ही अब कभी कही किसी को मिलें। आप निश्चिन्त होकर रहिए सारा बारात के लोग सिर्फ आपका ही प्रशंसा करते हैं। आपके सामने मेरा सर झुकता है । और युनुस खान कहा है दिखता नहीं है
युनूस खान – अपने बहन के बचपन का बिते पल को याद कर एक कोने में बैठकर रो रहा था
विदाई का समय हो गया और सब लोग युनूस खान को ढ़ुढ रहा है कि वो आये और अपने बहन के डोली को कंधा दे
हर रस्म में नोंक झोंक हुआ था इसलिए सारे लड़कियां ने सभी लड़कों को कहा अगर आप सब को हमारे कोई भी बात बुरी लगी हों तो आप सब हमें अपना समझ कर माफ़ कर दिजिएगा आंखों में आंसू लिए बोली
लड़के हम सब भी आप सबसे यही कहना चाहते हैं और हम सब आप लोगों को तभी माफ़ करेंगे जब आप हमें मुस्कुरा कर अलविदा कहेंगे
लड़कियां – अलविदा क्यों
लड़के – अलविदा इसलिए कि अब हम शायद ही जीवन में किसी मोड़ पर मिलें
लड़कियां – जीवन के सफ़र को कौन जानता है कि ये किस जगह को अपना आशियाना बना लें
लड़के – हम आपके बात से सहमत हैं और हम सब चाहेंगे कि आप सब हमें मुस्कुरा कर विदा करें
सभी लड़कियां मुस्कुराई और सभी लड़के बाय कहकर अपना हाथ हिलाता अपना रास्ता पकड़ लिया
दुल्हन जरीना रोते हुए सबसे गले मिल रही थी सखी सहेली से शादी में आये मेहमानों से मां से अपने अब्बू जान की तो वो गला छोड़ ही नहीं रही थी
अपने भाई से लिपट कर बहुत रो रही थी अंत में युनूस खान ने अपने बहन को डोली में बैठाकर डोली को कंधा दिया
और बारात दुल्हन लेकर चल दिया
दुल्हन पक्ष के लोग खड़े होकर देखते रह जाते हैं और दुल्हा
पक्ष अपने दुल्हन को लेकर अपने घर पहुंचते हैं
फ़िरदौस अपने नई भाभी के पास पहुंची और बोली भाभी आपके अपने नये परिवार में आपका वेलकम हैं
जरीना अपने घुंघट मे चुप चाप रही कोई उत्तर नहीं दी और फिर सलीम खान कि मां भाभी और बहुत पड़ोसन आई और पुरा रस्मों रिवाज के साथ दुल्हन को उतार कर घर लें आई
बातों बातों में दिन गुजर गया और अब जरीना और सलीम के सुहागरात कि तैयारी हुआ सुहागसेज को गुलाब और रंग बिरंगे फूलों से बहुत सुंदर से सजाया गया और पुरे घर को सजाया गया खुश्बू दार इथर से पुरे कमरे को महकाया गया
और वो पल भी आया कि जरीना एक लम्बा घुंघट डाल के अपने हमसफर सलीम का इंतजार करने लगी
सलीम का भाभी ने दुध और केले का इंतजाम करके रख दी
सब लोग रात का खाना खा रहा था
और तारीफ शमशेर खान का कर रहा था कि क्या इंतजाम किया था वो लोग ने
फ़िरदौस – भाभी जान सलीम भाई जान की शादी हुई पर हमें कोई तोहफा नहीं दिया दिया
भाभी नुरी – तो तुम अपने भाई जान से मांग लो
रिजवान खान – बोल मेरी बहन तुझे क्या चाहिए
फ़िरदौस – बड़े भैया आपसे नहीं इस बार हमें ईनाम सलीम भैया से लेना है
सलीम खान चुपचाप खाना खाये जा रहा था
भाभी नुरी – सलीम फ़िरदौस का ईनाम कहा है
सलीम – भाभी पहले खाना तों खा लूं
भाभी नुरी – अच्छा फ़िरदौस को क्या तोहफा दोगें
सलीम क्या भाभी आप भी है न बच्चे को एक चाॅकलेट के सिवा और क्या चाहिए अपने जेब से निकालते हुए कहा ये ले अपना ईनाम और अब चुप हों जा सारे लोग हस दिये
कि फ़िरदौस उस चाॅकलेट को सलीम के ओर फेंकते हुए खाना टेवल से उठकर हाथ धोकर अपने कमरे चली गई
जब सलीम ने देखा कि फ़िरदौस चीड़ गई है तों उठा और अपने बहन को मनाकर वापस लाया और सबके सामने कहा कि हमारे बहन बाजार में जिस चीज पर हाथ रख देगी वो उसका ईनाम होगा बस खुश
अब तो खाना खा लिजिए काली माई
फ़िरदौस – अम्मा देखो भैया को
नाईदा – देख सलीम मेरी बेटी सता मत
सब लोगों हंसते हंसाते खाना खाया
उधर जरीना सूहाग सेज पर बैठी सलीम का राह देख रही है
भाभी नुरी और ननद फ़िरदौस गई और पुछी भाभी किसी चीज कि जरुरत तो नही
नुरी – हां बहन अगर किसी चीज कि जब भी जरूरत पड़े बिना संकोच के बता देना
भाभी नुरी – तुम से जो कहां था वो सब रख दी ना
फ़िरदौस – हां भाभी
भाभी नुरी – फ़िरदौस अब बाहर चलों हम सलीम को भेजते हैं और दोनों ननद भौजाई बाहर निकल आईं और आते ही सलीम से कहा
भाभी नुरी – सलीम अंदर जाओ दुल्हन बेचारी अकेली बैठी है जाओ और उन्हें खुब प्यार दो
अम्मा नाईदा – हां जा बेटा सलीम तुम लोग भी थक गया होगा जा सो जा
सलीम – हां मां जा रहा हूं
भाभी नुरी – इशारा करके सलीम को अपने पास बुलाई और और बोली मुंह दिखाई के लिए क्या लिए हों
सलीम – कुछ भी नहीं
भाभी नुरी – पागल आज रस्म हैं कि तुम दुल्हन का पहली बार मुंह देखोगे तो उसे कुछ देना होता है
सलीम – आवाज को दवाकर बोला मैं तो कुछ नहीं लिया
भाभी नुरी – बुद्धू ये लो हार अपने वीवी कि पहली मुंह दिखाई पर देना
सलीम – भाभी ये तो आपका है
भाभी नुरी – आज से मेरे देवरानी का होगा
सलीम – वो भाभी आपको सौ बार शुक्रिया
भाभी नुरी – अच्छा ठीक है तुम अंदर जाओ
सलीम – ठीक है कहके अंदर प्रवेश किया
जरीना घर के दरवाजे का बंद होने कि आवाज सुनी कि दिल धड़कने लगा और अपनी घुंघट को और बड़ी कर ली
सलीम जरीना के करीब पहुंचा सुहाग सेज पर सारे फुल मुस्कुरा रहा था
सलीम जरीना के क़रीब बैठकर उसे बड़े गौर से देखा और कहा
शायरी
ऐ मेरे जिन्दगी कि खुशनुमा पल,
हम तेरे आगोश में छुप जाना चाहते हैं
क्या भरोसा इस वेवफा जिन्दगी का
इसलिए आज हम तुम पर लुट जाना चाहते हैं
और इतना कह कर सलीम ने जरीना का घुंघट उठाया
आंख बंद किए जरीना सोलह श्रृंगार में परियों कि शहजादी लग रही थी सलीम ने कहा
ऐ खुदा मेरे इस चांद को तुम हर बल्ला से बचाकर रखना।
मैं रहूं या ना रहूं लेकिन मेरे आशियां, को इन से सजा रखना
जब सलीम ने जरीना का घुंघट उठाया तों जरीना अपना सर झुका ली और आंखें बंद रखी
सलीम ने सर उठाते हुए कहा जानेमन अब तो ये पलकें का चिलमन हटा दों और मुझे अपने आंखों कि गहराई में डुब जाने दो
फिर जरीना धीरे धीरे अपने पलकें उठाई और अपने हमनशी हमसफ़र सलीम का चांद सा चेहरा देखकर मन ही मन अल्लाह का शुक्रिया अदा की
सलीम खान ने अपनी भाभी का दिया हुआ वो हार दिया और कहा जानेमन ये सलीम आज से नहीं बल्कि उसी दिन से तुम्हारा हो गया जिस दिन पहली बार तुम्हें देखा था ये सलीम तुम्हारा है तुम जिस हाल में रखोगी हम रह लेंगे
जरीना – मुझे भी इस ज़माने का कोई खुशी कोई रंग कोई चीज नही चाहिए सिवा आपके के
सलीम धीरे धीरे जरीना के सारे गहने उतार दिया और वती को आॅफ कर दिया और एक दुजे में खो गए
सुबह हुआ सब फ्रेश हुआ और फ़िरदौस अपने नई भाभी के पास पहुंची और गुड मॉर्निंग बोली
मां नाईदा ने आवाज दिया फ़िरदौस बेटा चय बना लें
फ़िरदौस अभी बनातीं हूं अम्मी
जरीना – ननद जी आज सबके लिए चय मैं बना दूं
फ़िरदौस – नहीं भाभी नहीं लोग क्या कहेंगे कि नव नवेली दुल्हन का हाथ का मेंहदी छुटा नहीं और काम में लगा दिया
और जब मैं आपकी ननद फ़िरदौस हूं तो मेरे भाभी कैसे काम करेगी इसलिए आप आराम करो
जरीना – मेरी प्यारी ननद मेरी बहन मुझे बैठने में बोर फील होता है इसलिए मैं आप से कह रही हूं
तब तक भाभी नुरी पहुंची और क्या बात हो रही है दोनों ननद भाभी में मैं अंदर आ सकती हूं
जरीना आगे बढ़ कर अपने जेठानी का हाथ पकड़ कर अंदर लाउ और कहां दीदी आज मैं सबके लिए चय बनाऊं
नुरी जेठानी – नहीं नहीं हम लोग किस लिए है लोग क्या कहेंगे
तब तक मां नाईदा भी वहां पहुंची और बोली क्या बात हों रहा है मेरे बच्चों
फ़िरदौस – मां छोटी भाभी कहती है कि मैं सबके लिए चय बनाऊं
मां नाईदा – नही बेटा लोग क्या कहेंगे कि बहूं के हाथों का मेंहदी नहीं छुटी और काम में लगा दिया
फ़िरदौस – हां मां यही बात तों मैं और बड़ी भाभी कह रही है
मां नाईदा – बेटा घर तो तुम्हारे ही है काम तों तुम्हें ही करना होगा पर बेटी हमें हर बात पर भी ध्यान रखना चाहिए
और बातों बातों में सलीम {हीरो} का छुट्टी खत्म हो गया और उसे अपने डियूटी के लिए जाना होगा
जीवन का ये दस दिन जो बिता वो एक एक पल खुशीयों से भरा हुआ था
सलीम कि जाने कि तैयारी हों गया और जरीना सलीम को अपने कमरे में बहुत प्यार करती है और कहती हैं
जरीना – मेरे हमसफ़र अब वापस कब आना होगा और मुझे याद रखेंगे या भुल जाएंगे
सलीम – जरीना कोई अपने सांसें भुलता है क्या.. अगर मैं इस दुनिया में जीयूंगा तों सिर्फ तुम्हारे लिए.. मुझे तुम्हारे सिवा और कुछ नहीं चाहिए इस ज़माने से.. और रही बात आने कीतो जब तक आॅफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी कैसे आऊंगा लेकिन मैं पुरा कोशिश करुंगा इस बार थोड़ा जल्दी आने के लिए वो भी मैं अपने बेगम साहिबा के लिए.. तुम अपना पूरा ख्याल रखना मेरे लिए
जरीना – सुनती रही सलीम ने जरीना को एक चुम्मा लिया और कहा मैं जाऊं
जरीना – ने सलीम को अपने बाहों में भर लिया और बोली आपके बीना मैं अधुरी रहूंगी इसलिए जल्दी आने कि कोशिश किजिए गा
सलीम – ठीक है और अपने कमरे से बाहर निकल आया
भाई से गले मिला अपने अब्बा से अम्मी से गले मिला और भाभी को सलाम किया बहन को कहा तुम खुश रहना और चल दिया
और अपने पोस्ट पर पहुंच कर अपने डियुटी के लिए तैयार हो गया सब लोग सलीम {हीरो} को शादी का मुबारकबाद दिया और जो दिया था वो इंतजाम का प्रशंसा किया
सलीम – अच्छा बाबू शराव जी जंगल का क्या हाल है कोई लड़की काटने तो नहीं आया ना
बाबूराव – हां सर उस लंगुरिया के आदमी को जैसे पता चला कि आप पंद्रह दिन के लिए अपने घर गए हैं वो बहुत से पेड़ काट कर ले गया
सलीम – क्यों हमारे जगह पर जो आॅफिसर थे वो और तुम सब क्या कर रहे थे
बाबूराव – सर वो तो बहै डरपोक निकले वो कभी जंगल घुमने गए ही नहीं और हम सब को भी नहीं जाने दिये
सलीम – ठीक है तुम मेरा गाड़ी ले आओ हम अभी जंगल दौड़े पर जाएंगे तुम सब लोग अपने अपने बंदुक का गोली चेक कर लेना और दो चार रस्सी ले लेना
बाबूराव ने सलीम के कहें अनुसार सब काम किया और कहा सर गाड़ी तैयार हैं
सलीम – ओ के और सात सिपाही के साथ जंगल दौड़े पर निकले उस दिन भी जंगल के पेड़ काट रहे लंगुरिया के आदमी मिला
लंगुरिया के आदमी इतना बदमाश था कि वो सलीम के जाने पर भागा नही उल्टा कहा
लंगुरिया के आदमी – आओ सलीम खान आओ
सलीम खान {हीरो } क्यों वे सारे लोग भाग निकला और तु इस जंगल को अपना बाप का धरोहर समझ रहा है
लंगुरिया के आदमी – हां इस जंगल को मैं अपने बाप का धरोहर समझ रहा हूं और इस धरोहर का कुछ हिस्सा आॅफिसर हम तुम्हारे लिए भी लाएं हैं वो देखो पेड़ के नीचे रखें वीआई पी नोट से भड़ा हुआ है जाओ अपना हिस्सा लो और मुझे पेड़ काटने दो
सलीम – बाबूराव वो पैसे की वी आई पी गाड़ी में रखो
बाबूराव – सर ये बात आप कह रहे हैं
सलीम खान – हां बाबूराव ये बात हम कह रहें हैं
बाबूराव – मन में बुदबुदाता हुआ बोला लगता है ये भी भ्रष्ट हो गया शायद विवाह होने पर खर्चा बढ़ गया होगा बाबूराव ने वी आई पी को गाड़ी में रख दिया
सलीम – लंगुरिया के आदमी से ऐ चल चुपचाप चलके गाड़ी में बैठ जा नही तो हम लें जाएंगे तो तुम्हें बहुत तकलीफ़ होगी
लंगुरिया का आदमी – है आॅफिसर तु पागल हो गया है पैसे भी लें लिया और हमें गाड़ी में बैठने को कह रहा है जा तु यहां से कहीं ये खोपड़ी सटक गई तों ना तु और ना ये तेरा बजूद रहेगा
सलीम खान {हीरो } आजा गाड़ी में बैठ तुम सब को जेल में डालना है और मोटे मोटे गप्पे मारने से तु बच नहीं सकता है