Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2024 · 1 min read

4950.*पूर्णिका*

4950.*पूर्णिका*
🌷 जो चाहोगे सब होगा 🌷
22 22 22 2
जो चाहोगे सब होगा ।
सपना अपना सब होगा।।
दुनिया महकेगी हरदम ।
रख लो चाहत सब होगा।।
हाथ लगेगी खुशियाँ भी ।
साथ चलोगे सब होगा।।
फूल खिले बगिया महके।
फूलों सा मन सब होगा।।
साथी सुख दुख का खेदू।
जीवन सुंदर सब होगा।।
…….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
13-11-2024बुधवार

38 Views

You may also like these posts

कहने का मौका तो दिया था तुने मगर
कहने का मौका तो दिया था तुने मगर
Swami Ganganiya
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
आब-ओ-हवा
आब-ओ-हवा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
Ashwini sharma
बसंती हवा
बसंती हवा
Arvina
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आजकल गजब का खेल चल रहा है
आजकल गजब का खेल चल रहा है
Harminder Kaur
निर्भय होकर जाओ माँ
निर्भय होकर जाओ माँ
manorath maharaj
"सम्पाति" जैसे उन्माद में
*प्रणय*
नर्क भोगने के लिए पाप करना ही जरूरी नहीं हैं, अगर आप एक शिक्
नर्क भोगने के लिए पाप करना ही जरूरी नहीं हैं, अगर आप एक शिक्
पूर्वार्थ
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
Ajit Kumar "Karn"
सेवाभाव
सेवाभाव
Rambali Mishra
वीर जवान
वीर जवान
Shriyansh Gupta
....राम के जैसे संघर्ष पथ पर चलना होगा..
....राम के जैसे संघर्ष पथ पर चलना होगा..
rubichetanshukla 781
सत्य
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#घर की तख्ती#
#घर की तख्ती#
Madhavi Srivastava
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
वैश्विक बाज़ार और हिंदी
वैश्विक बाज़ार और हिंदी
Shashi Mahajan
" कृष्णा का आवाहन "
DrLakshman Jha Parimal
तेरी याद में
तेरी याद में
Chitra Bisht
*Live Stillness*
*Live Stillness*
Veneeta Narula
गहराई
गहराई
Kanchan Advaita
*जो सहनशील है कभी नहीं, अधिकार जगत में पाएगा (राधेश्यामी छंद
*जो सहनशील है कभी नहीं, अधिकार जगत में पाएगा (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
शाम
शाम
Kanchan Khanna
मानव बस मानव रहे ,बनें नहीं हैवान ।।
मानव बस मानव रहे ,बनें नहीं हैवान ।।
RAMESH SHARMA
अर्थ के बिना
अर्थ के बिना
Sonam Puneet Dubey
एक घर था*
एक घर था*
Suryakant Dwivedi
पुरानी किताब
पुरानी किताब
Mansi Kadam
हर रोज याद आऊं,
हर रोज याद आऊं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
काबिल नही तेरे
काबिल नही तेरे
ललकार भारद्वाज
Loading...