4940.*पूर्णिका*
4940.*पूर्णिका*
🌷 *मन में तनिक दुराभाव नहीं * 🌷
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मन में तनिक दुराभाव नहीं।
पीड़ा दे आज स्वभाव नहीं ।।
साथी खुशहाल सदा रहते ।
अपना कुछ देख अभाव नहीं ।।
नेक भला हो चाहा हमने।
दुनिया का आज प्रभाव नहीं ।।
साथ निभाने की है चाहत।
सच में खाते हम भाव नहीं ।।
सीख कला जीने की खेदू।
अपना समझे समभाव नहीं ।।
………✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
11-11-2024सोमवार