4809.*पूर्णिका*
4809.*पूर्णिका*
🌷 बदले हुए लोग देखो 🌷
2212 2122
बदले हुए लोग देखो।
मचले हुए लोग देखो।।
रहती परेशानियां भी ।
निकले हुए लोग देखो।।
कैसे यहाँ सँभले हम ।
कुचले हुए लोग देखो।।
क्या क्या नहीं शौक पाले ।
फिसले हुए लोग देखो।।
रास्ता नहीं मुश्किल खेदू।
टकले हुए लोग देखो।।
……….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
01-11-2024शुक्रवार