4761.*पूर्णिका*
4761.*पूर्णिका*
🌷 बदल जाता है मिजाज यहाँ 🌷
2122 212 22
बदल जाता है मिजाज यहाँ ।
रीति भी है कुछ रिवाज यहाँ ।।
रंग मौसम की तरह बदले ।
देख भूले पहन ताज यहाँ ।।
मतलबी दुनिया कहे क्या क्या।
साधते है लोग आज यहाँ ।।
तोड़ जाते सच भरोसा भी ।
हम रखे क्या नेक नाज यहाँ ।।
भूख मिटती कब भला खेदू।
पेट भरते हैं अनाज यहाँ ।।
………✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
24-10-2024गुरूवार