4756.*पूर्णिका*
4756.*पूर्णिका*
🌷 पकड़ कर हाथ खींचा है 🌷
212 212 22
पकड़ कर हाथ खींचा है ।
जकड़ कर साथ सींचा है ।।
जिंदगी जिंदगी महके।
अकड़ कर माथ चूमा है ।।
लोग अभिमान में डूबे ।
रगड़ कर पाथ टूटा है ।।
दे दुहाई यहाँ कोई।
फकड़ कर फाथ फूटा है ।।
जाल में फंसते खेदू।
मकड़ कर नाथ रूठा है ।।
……✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
24-10-2024गुरूवार