4718.*पूर्णिका*
4718.*पूर्णिका*
🌷 गेंदा न गुलाब हुए🌷
22 22 22
गेंदा न गुलाब हुए।
दिल देख जुलाब हुए।।
कुछ ना जाने दुनिया।
बस रचित किताब हुए ।।
कितना किसका क्या क्या।
यूं आज हिसाब हुए।।
मनमस्त मौजी मानव।
न सवाल जवाब हुए।।
अंधे बहरे खेदू।
नौशाद नवाब हुए ।।
…..✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
20-10-2024रविवार