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19 Oct 2024 · 1 min read

4710.*पूर्णिका*

4710.*पूर्णिका*
🌷 अपनों से अलग नहीं समझा🌷
22 22 22 22
अपनों से अलग नहीं समझा ।
सपनों से अलग नहीं समझा ।।
ह्रदय सुवासित बगियां अपनी।
सुमनों से अलग नहीं समझा ।।
चीर कलेजा हर चीज दिया।
दुश्मनों से अलग नहीं समझा ।।
नेक हस्ती देख मस्ती करते।
रजनों से अलग नहीं समझा ।।
साथ रहेगा उम्रभर खेदू।
वचनों से अलग नहीं समझा ।।
…….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
19-10-2024शनिवार

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