Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Oct 2024 · 1 min read

4669.*पूर्णिका*

4669.*पूर्णिका*
🌷 हम जबान पक्के रखते 🌷
212 22 22
हम जबान पक्के रखते।
देख शान पक्के रखते।।
ना कभी पीछे यारा।
सच सम्मान पक्के रखते।।
खूबसूरत ये दुनिया।
आन बान पक्के रखते।।
फूल बन के सजते बस।
मन महान पक्के रखते।।
फूंक कर चलते खेदू।
हर मकान पक्के रखते।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
16-10-2024 बुधवार

18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
डॉ० रोहित कौशिक
खुदा तू भी
खुदा तू भी
Dr. Rajeev Jain
*हाथी*
*हाथी*
Dushyant Kumar
चाय
चाय
Rajeev Dutta
ज़िंदगी भर की हिफ़ाज़त की क़सम खाते हुए
ज़िंदगी भर की हिफ़ाज़त की क़सम खाते हुए
पूर्वार्थ
#कुछ_भी_कहीं_भी_मतलब_बेमानी
#कुछ_भी_कहीं_भी_मतलब_बेमानी
*प्रणय*
# आज की मेरी परिकल्पना
# आज की मेरी परिकल्पना
DrLakshman Jha Parimal
4424.*पूर्णिका*
4424.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये हक़ीक़त
ये हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे
दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे
Rj Anand Prajapati
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
पेड़ पौधे से लगाव
पेड़ पौधे से लगाव
शेखर सिंह
हम जीये यहाँ इस तरहां
हम जीये यहाँ इस तरहां
gurudeenverma198
गीतिका छंद
गीतिका छंद
Seema Garg
यूं सांसों का वजूद भी तब तक होता है,
यूं सांसों का वजूद भी तब तक होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
*अनमोल हीरा*
*अनमोल हीरा*
Sonia Yadav
ശവദാഹം
ശവദാഹം
Heera S
04/05/2024
04/05/2024
Satyaveer vaishnav
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक लम्बा वक्त गुजर गया जाने-अनजाने में,
एक लम्बा वक्त गुजर गया जाने-अनजाने में,
manjula chauhan
आक्रोश प्रेम का
आक्रोश प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
मूरत
मूरत
कविता झा ‘गीत’
प्रार्थना के स्वर
प्रार्थना के स्वर
Suryakant Dwivedi
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
Mukesh Kumar Sonkar
जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
Indu Singh
दोहा .....
दोहा .....
Neelofar Khan
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
Atul "Krishn"
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...