4657.*पूर्णिका*
4657.*पूर्णिका*
🌷 दोनों हाथ से ताली बजती 🌷
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दोनों हाथ से ताली बजती।
दिल से आरती थाली सजती।।
देखो प्यार की दुनिया महके।
सच में जिंदगी खाली तजती।।
रहते भोथरापन चाहत में ।
करते धार खुशहाली पजती ।।
कैसे पार नैया देख लगे।
भोले भजन भी भाली भजती ।।
निखरे साथ में हरदम खेदू।
अपना भी यहाँ बाली छजती ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
15-10-2024 मंगलवार