4652.*पूर्णिका*
4652.*पूर्णिका*
🌷 हम देना चाहते हैं सौगात तुम्हें 🌷
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हम देना चाहते हैं सौगात तुम्हें ।
करते सच प्यार समझाते बात तुम्हें ।।
दुनिया भी बदलती वक्त के साथ जहाँ ।
दिल की दिखती नहीं ये बारात तुम्हें ।।
जगमग भी रौशनी देखो दीयों से।
भाते ना चांदनी सी ये रात तुम्हें ।।
कलियाँ खिल महकती रहती बगि यां में ।
सच में मालूम तो है औकात तुम्हें ।।
यूं हरदम बरसती है खुशियां खेदू।
मंजिल सावन भिंगाते बरसात तुम्हें ।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
15-10-2024 मंगलवार