4641.*पूर्णिका*
4641.*पूर्णिका*
🌷 यूं नहीं बनती बात कोई 🌷
212 22 2122
यूं नहीं बनती बात कोई ।
यूं नहीं तनती बात कोई ।।
पार होती नौका कहाँ कब।
यूं नहीं छनती बात कोई ।।
हल यहाँ मसलों का जरा हो ।
यूं नहीं ठनती बात कोई।।
भूल ही शूल यहाँ बने सच ।
यूं नहीं खनती बात कोई ।।
कूल भी देखो फूल खेदू।
यूं नहीं हनती बात कोई ।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
14-10-2024 सोमवार