4632.*पूर्णिका*
4632.*पूर्णिका*
🌷 सच कुछ जानता नहीं 🌷
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सच कुछ जानता नहीं ।
यूं पहचानता नहीं ।।
चलती जिंदगी जहाँ ।
सीना तानता नहीं ।।
बसते हृदय में कहते।
अपना मानता नहीं ।।
हमने बहुत कुछ देखे।
दुनिया छानता नहीं ।।
संकल्प काम का खेदू।
कुछ भी ठानता नहीं ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
14-10-2024 सोमवार