4609.*पूर्णिका*
4609.*पूर्णिका*
🌷 पागल होते कौन यहाँ 🌷
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पागल होते कौन यहाँ ।
घायल होते कौन यहाँ ।।
रूनझुन बजते जीवन भी ।
पायल होते कौन यहाँ ।।
जान लुटा देते अपनी।
कायल होते कौन यहाँ ।।
चांद चमकते आंखों का।
काजल होते कौन यहाँ ।।
बेहद प्यार करें खेदू।
पामल होते कौन यहाँ ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
11-10-2024 शुक्रवार