4602.*पूर्णिका*
4602.*पूर्णिका*
🌷 हमने सुंदर ख्वाब देखा है 🌷
22 22 212 22
हमने सुंदर ख्वाब देखा है ।
हमने सुंदर आब देखा है ।।
संवरती है जिंदगी अपनी।
सच में नेक जवाब देखा है ।।
चाहत से ही महकती दुनिया।
खिलते रोज गुलाब देखा है ।।
अपनों का परवाह करते हम।
खुशियों का सैलाब देखा है ।।
कैसे फितरत बदलती खेदू।
रंग यहाँ रुआब देखा है ।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
10-10-2024 गुरुवार