4596.*पूर्णिका*
4596.*पूर्णिका*
🌷 हमने बदल कर देखा 🌷
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हमने बदल कर देखा।
हमने सदल कर देखा।।
मंजिल भी मिली अपनी।
हमने निकल कर देखा।।
बाजी हार के जीते।
हमने नकल कर देखा।।
साजन प्यार से रहते।
हमने असल कर देखा।।
दुनिया साथ में खेदू।
हमने सबल कर देखा।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
09-10-2024 बुधवार