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7 Oct 2024 · 1 min read

4566.*पूर्णिका*

4566.*पूर्णिका*
🌷 समझ नहीं सके 🌷
22 212
समझ नहीं सके ।
सुलझ नहीं सके।।
कुछ डरपोक भी ।
उलझ नहीं सके।।
गाते गीत क्या।
परख नहीं सके।।
कैसी जिंदगी ।
हरस नहीं सके।।
मस्त खेदू यहाँ ।
बरस नहीं सके।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
07-10-2024 सोमवार

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