4566.*पूर्णिका*
4566.*पूर्णिका*
🌷 समझ नहीं सके 🌷
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समझ नहीं सके ।
सुलझ नहीं सके।।
कुछ डरपोक भी ।
उलझ नहीं सके।।
गाते गीत क्या।
परख नहीं सके।।
कैसी जिंदगी ।
हरस नहीं सके।।
मस्त खेदू यहाँ ।
बरस नहीं सके।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
07-10-2024 सोमवार