4556.*पूर्णिका*
4556.*पूर्णिका*
🌷 अपना तुम माने ही नहीं 🌷
22 22 2212
अपना तुम माने ही नहीं ।
सपना तुम जाने ही नहीं ।।
राज बताया यूं खोलकर।
सीना तुम ताने ही नहीं ।।
बदलेगी कैसी जिंदगी।
मंशा तुम छाने ही नहीं ।।
कौन भरेगा ये पेट भी ।
डाला तुम दाने ही नहीं ।।
यार यहाँ खेदू प्यार का ।
मंजिल तुम ठाने ही नहीं ।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
06-10-2024 रविवार