4548.*पूर्णिका*
4548.*पूर्णिका*
🌷 रखते अकड़ किस बात की 🌷
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रखते अकड़ किस बात की।
रखते पकड़ किस बात की ।।
बहती जिंदगी की नदी ।
रखते जकड़ किस बात की ।।
राजा रंक भी जब हुए ।
रखते धकड़ किस बात की ।।
उलझे हैं जहाँ लोग यूं ।
रखते मकड़ किस बात की ।।
जिंदा देख खेदू कहे।
रखते फकड़ किस बात की ।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
05-10-2024 शनिवार