4528.*पूर्णिका*
4528.*पूर्णिका*
🌷 आगे जब बढ़ना है 🌷
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आगे जब बढ़ना है ।
पाठ नया पढ़ना है ।।
देखे दुनिया अपनी ।
हमको कुछ गढ़ना है ।।
मंजिल पग चूमेगी ।
ऊंचा ही चढ़ना है ।।
नेकी का करम यहाँ ।
दोष नहीं मढ़ना है ।।
ये किस्मत यहाँ खेदू।
अलग जरा कढ़ना है ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
03-10-2024 गुरुवार