Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2024 · 1 min read

4526.*पूर्णिका*

4526.*पूर्णिका*
🌷 जाने ना आधार कोई 🌷
22 22 2122
जाने ना आधार कोई।
माने ना यूं प्यार कोई।।
बदले जीवन आज कैसे।
खाने ना बाजार कोई।।
जीने की बस आज तमन्ना।
ताने ना संसार कोई।।
मिलते अब कुछ नेक साथी ।
ठाने ना दमदार कोई ।।
परदे के पीछे न खेदू।
छाने ना दिलदार कोई।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
03-10-2024 गुरुवार

15 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम हमेशा से  मेरा आईना हो॥
तुम हमेशा से मेरा आईना हो॥
अमित
जहाँ में किसी का सहारा न था
जहाँ में किसी का सहारा न था
Anis Shah
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
Rj Anand Prajapati
*जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है (हिंदी गजल)*
*जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
भाई-बहिन का प्यार
भाई-बहिन का प्यार
Surya Barman
नज़र चुरा कर
नज़र चुरा कर
Surinder blackpen
एक कुंडलियां छंद-
एक कुंडलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
Mahender Singh
नेता
नेता
Punam Pande
"मेहा राहगीर आँव"
Dr. Kishan tandon kranti
मौन अधर होंगे
मौन अधर होंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
सब्र और सहनशीलता कोई कमजोरी नहीं होती,ये तो अंदरूनी ताकत है,
सब्र और सहनशीलता कोई कमजोरी नहीं होती,ये तो अंदरूनी ताकत है,
पूर्वार्थ
पीठ के नीचे. . . .
पीठ के नीचे. . . .
sushil sarna
"Always and Forever."
Manisha Manjari
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा  करने की कोशिश मात्र समय व श्र
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा करने की कोशिश मात्र समय व श्र
*प्रणय प्रभात*
मुझसे मेरी पहचान न छीनों...
मुझसे मेरी पहचान न छीनों...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
मुक्तक – आज के रिश्ते
मुक्तक – आज के रिश्ते
Sonam Puneet Dubey
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
#शीर्षक:-बहकाना
#शीर्षक:-बहकाना
Pratibha Pandey
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
15. गिरेबान
15. गिरेबान
Rajeev Dutta
3482.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3482.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
"सफर"
Yogendra Chaturwedi
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
उहे समय बा ।
उहे समय बा ।
Otteri Selvakumar
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...